घर को बना दिया हाइड्रोपोनिक फार्म हाउस: बरेली के रामवीर सिंह की मिसाल बनती खेती

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मिट्टी नहीं, तकनीक से उग रही हैं ताज़ी सब्जियां; छत-बालकनी से निकल रहा है रसायन मुक्त भोजन का संदेश

बरेली। अब खेती के लिए ज़मीन नहीं, सिर्फ़ सोच और तकनीक की ज़रूरत है। बरेली के पीलीभीत बाईपास रोड पर रहने वाले रामवीर सिंह ने अपने तीन मंजिला घर को हाइड्रोपोनिक फार्म हाउस में तब्दील कर दिया है। मिट्टी रहित इस खेती में वह न केवल ताज़ी हरी सब्जियां और फल उगा रहे हैं, फार्म हाउस खोलकर सब्जियों को उगाकर 35 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

क्या है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग?

हाइड्रोपोनिक खेती एक अत्याधुनिक तकनीक है जिसमें मिट्टी के बिना, केवल पानी और न्यूट्रिएंट सॉल्यूशन की मदद से पौधों को उगाया जाता है। इस तकनीक में:

80% तक पानी की बचत होती है

रसायनों और कीटनाशकों की कोई जरूरत नहीं,जगह की जरूरत कम होती है, छत या बालकनी भी काफी है। उत्पादन गुणवत्ता बेहतर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है।

घर बना हरा-भरा फार्म: हर मंजिल पर उग रही हैं सब्जियां

रामवीर सिंह का तीन मंजिला मकान अब शहर में आकर्षण का केंद्र बन गया है। छत और बालकनी में आपको हरी मिर्च, लौकी, बैंगन, टमाटर, ब्रोकली, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां लटकती और झूलती दिखाई देंगी।
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से रसायन मुक्त है यानी बिना किसी हानिकारक पेस्टिसाइड या केमिकल के ताज़ा सब्जियां सीधे आपके थाली में।

एक दर्द बना बदलाव की वजह

रामवीर सिंह ने एमएससी किया है और दुबई में काम कर चुके हैं। लेकिन एक घटना ने उनका जीवन बदल दिया।
उनके चाचा को कैंसर हो गया, और डॉक्टरों ने इसकी वजह लंबे समय तक रसायनयुक्त भोजन को बताया। इस झकझोर देने वाली सच्चाई के बाद रामवीर ने नौकरी छोड़ दी और 2016 में बरेली लौटकर हाइड्रोपोनिक फार्मिंग की शुरुआत की।

अब दे रहे हैं 35 लोगों को रोजगार

आज रामवीर सिंह सिर्फ खुद के लिए नहीं उगा रहे हैं। उन्होंने एक हाइड्रोपोनिक प्लांट फार्म, मछली पालन यूनिट, और एक रिसोर्ट भी शुरू किया है, जहां इसी तकनीक से उगाई गई सब्जियों का उपयोग किया जाता है। उनकी यह पहल अब 35 लोगों को स्थायी रोजगार भी दे रही है।

40 से 50 हजार में शुरू करें अपनी हाइड्रोपोनिक खेती

रामवीर बताते हैं कि शुरुआत में बड़े निवेश की जरूरत नहीं होती। मात्र 12,000 रुपए में 100 पौधों के लिए एक बेसिक सिस्टम तैयार हो सकता है। छोटे घरों के लिए भी अलग-अलग मॉड्यूल उपलब्ध हैं। 40-50 हजार रुपए में आप अपनी छत या बालकनी में आत्मनिर्भर खेती शुरू कर सकते हैं।

कौन-कौन से न्यूट्रिएंट्स का होता है इस्तेमाल?

हाइड्रोपोनिक सिस्टम में पौधों को पोषक तत्व पानी में मिलाकर दिए जाते हैं। इनमें शामिल हैं: नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम,कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर,जिंक, कॉपर, आयरन समेत कुल 16 आवश्यक तत्व यह सभी तत्व पौधों की जड़ों तक सीधे पहुंचते हैं, जिससे उनकी ग्रोथ तेजी से और प्राकृतिक रूप से होती है।

कैसे काम करता है हाइड्रोपोनिक सिस्टम?

1. PVC पाइप्स (4 इंच मोटे, 200 मीटर तक) को छत पर ढलान के साथ फिट किया जाता है।
2. इन पाइपों में जालीदार Net Pots लगाए जाते हैं जिनमें पौधे रोपे जाते हैं।
3. मोटर के जरिए एक टैंक से पोषक तत्व युक्त पानी पाइप में भेजा जाता है।
4. यह पानी घूमकर वापस टैंक में आता है और दोबारा उपयोग होता है।
5. गर्मी में दिन में दो बार, और सर्दी में दो-तीन दिन में एक बार पानी चलाना होता है। कुल खर्च: करीब 1.25 लाख रुपए का सेटअप जिसमें पाइप, मोटर, बास्केट, कोकोपीट आदि शामिल हैं।

रामवीर सिंह की मुहिम: हर घर बने फार्म

रामवीर सिंह मानते हैं कि अगर हर व्यक्ति अपनी छत या बालकनी में हाइड्रोपोनिक फार्मिंग शुरू कर दे तो रसायनयुक्त सब्जियों से मुक्ति मिल सकती है।ताज़ा और पोषणयुक्त भोजन मिलेगा।पानी की बचत होगी।आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम होगा

लोग घर आकर देख रहे हैं मॉडल, ले रहे हैं प्रेरणा

बरेली और पीलीभीत के कई घरों में रामवीर सिंह ने हाइड्रोपोनिक सिस्टम लगाने में मदद की है। उनके फार्म हाउस को देखने रोज लोग पहुंचते हैं और इस हरित क्रांति में भागीदार बनना चाहते हैं।

रामवीर सिंह का सपना:“हर छत हो हरी, हर थाली में हो ताज़ा और रसायन मुक्त भोजन।” आप भी जुड़िए इस हरित क्रांति से। सिर्फ सोच बदलनी है, खेती अब छत पर भी होती है!

विकास यादव
Author: विकास यादव

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