बरेली। दिवाली के मौके पर जहां शहरवासी टूटी सड़कों, गंदगी और जलभराव से परेशान रहे, वहीं नगर निगम के मेयर उमेश गौतम ने पार्षदों की ‘दिवाली’ अलग अंदाज में मना डाली। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में मेयर को पार्षदों को नोटों से भरे लिफाफे और अटैची बांटते देखा गया है।
तस्वीरें वायरल होते ही शहर में सियासी हलचल मच गई। विपक्षी पार्षदों ने तंज कसा “मेयर साहब ने दिवाली का गिफ्ट नहीं, जुबान बंद करने का सौदा किया है।”
सूत्रों के मुताबिक, मेयर ने भाजपा से जुड़े दर्जनों पार्षदों को अटैची और लिफाफा देकर ‘त्योहार की परंपरा’ निभाई, साथ में मिठाई का डिब्बा भी थमाया गया। जबकि सपा और कांग्रेस पार्षदों को सिर्फ मिठाई का डिब्बा देकर रुखसत किया गया। वहीं, चर्चा ये भी है कि मुस्लिम पार्षदों को लिफाफे और अटैची घर पर चुपचाप भिजवा दी गईं, ताकि मामला ज्यादा न उछले।
अब शहरवासी पूछ रहे हैं “6000 करोड़ खर्च करने के बाद भी बरेली की सड़कें और नालियां क्यों बदहाल हैं?”
अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि निगम के ठेकों में 12 से 15 प्रतिशत तक ‘कमीशन कल्चर’ आम हो चुका है। यही वजह है कि करोड़ों की लागत से बनी सड़कें छह महीने में ही उखड़ जाती हैं। बताया जा रहा है कि हर लिफाफे में 10 हजार रुपये से ज्यादा की रकम थी। इस मामले पर जब मेयर उमेश गौतम से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में पार्षद अटैची और लिफाफा थामे मुस्कराते दिख रहे हैं। उधर जनता में चर्चा का सिर्फ एक ही मुद्दा है “मेयर की दिवाली, जनता की बदहाली।”
Author: विकास यादव
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